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वैदिक संस्कृति पर आधारित सनातनी कर्म काण्ड एवं पूजन पाठ।

सनातनी कर्मकांड हिंदू धर्म की वह प्रथा है जिसमें विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान और संस्कार किए जाते हैं। यह अनुष्ठान मूल रूप से भारतीय उपमहाद्वीप की विकसित वैश्विक मानव संस्कृति सभ्यता के सामाजिक जीवन के विभिन्न चरणों में किए जाते हैं, जैसे जन्म, अन्नप्राशन, उपनयन, विवाह, और मृत्यु। सनातनी कर्मकांड में युग प्रवर्तक वेदों और शास्त्रों के अनुसार विधि-विधान से पूजा-पाठ, यज्ञ, हवन आदि करने का विधान है। इसमें विशेष रूप से युग प्रवर्तन में दक्ष आचार्यों द्वारा संस्कृत में मंत्रोच्चारण किया जाता है और अनन्य आराध्य देवी-देवताओं की आराधना एवं प्राण-प्रतिष्ठा की जाती है।

वस्तुत: ब्रह्मांडीय-संज्ञानात्मकता हेतु प्रयुक्त भाषायी संदर्भों में, सनातन धर्म का अर्थ है जो शाश्वत हो, सदा के लिए सत्य हो। जिन बातों का शाश्वत महत्व हो वही सनातन कही गई है। जैसे सत्य वस्तुनिष्ठ तार्किक मर्यादा द्वारा भू-भाषा में सनातन है। इस प्रकार चराचर दृश्यमान जगत में ईश्वर ही सत्य है, ईश्वर-अंश आत्मा ही सत्य है, आत्मन मोक्ष ही सत्य है और इस सत्य के मार्ग को बताने वाला धर्म ही सनातन धर्म का प्रतिपालक भी सत्य है।

सनातनी कर्मकाण्ड: सनातनी कर्मकाण्ड वह बहुविषयक प्रवृत्ति है जो व्यक्ति को धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से बहुध्रुवीय मार्ग अपनाने में मार्गदर्शन करती है। यह कर्मकाण्ड धार्मिक आचरण, यज्ञ, व्रत, पूजा, साधना, और अन्य धार्मिक क्रियाओं का समावेशन हो सकता है।

पूजन पाठ: पूजन पाठ विभिन्न धार्मिक ग्रंथों के मंत्रों और पूजा पद्धतियों का विषयगत समृद्ध क्षेत्र है। यह अनन्य आराध्य देवी-देवताओं की उपासना, मंत्रजाप, आरती, धूप, दीप, नैवेद्य, स्तोत्र, और अन्य आराधना पद्धतियों को समाहित कर सकता है।

धार्मिक कर्म: सनातनी कर्मकाण्ड के अंतर्गत विभिन्न धार्मिक कर्म शामिल हो सकते हैं, जो व्यक्तिफरक मानस को सामाजिक, आध्यात्मिक, और पर्यावरण से क्वांटम अभियांत्रिक पदों में साक्षात्कार कराते हैं। यह सनातनी कर्म सामूहिक और व्यक्तिगत उन्नति को बहुविषयक बहुध्रुवीय नीतिगत अनुशासित सहायता देने का कार्य कर सकते हैं।

पौराणिक कथाएँ: सनातनी कर्मकाण्ड अक्सर पुराणों की कथाओं और महाभारत रामायण जैसे महाकाव्यों की गाथाओं से प्रेरित होता है। इन पुराणिक कथाओं के माध्यम से धर्म, नैतिकता, और आदर्श जीवन की बहुआयामी नैतिकता में तार्किक निवेश किया जाता है।

सांप्रदायिक विवेचन: क्षेत्रीय से लेकर वैश्विक संप्रदायों के अनुसार, सनातनी कर्मकाण्ड में विभिन्न पूजन पद्धतियाँ और मानव मानस आचरणों की विविधता हो सकती है। इसमें स्थानीय और सांस्कृतिक परंपराओं पर मानव मानस की कालजयी वैश्विक सांस्कृतिक उद्यमित मनोरथों का भी महत्वपूर्ण स्थान होता है।

आध्यात्मिक उन्नति:सनातनी कर्मकाण्ड का एक ब्रह्मांडीय-संज्ञानात्मक लक्ष्य यह भी हो सकता है कि व्यक्ति अपनी आध्यात्मिक उन्नति के माध्यम से मानस स्वरूप (आत्मा) के उद्दीपन की दिशा में बढ़े।

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